जाने कैसा रंग छाया है। कोई इज्जत नहीं रही, राइटर, बैल, बारात की। जाने कैसा रंग छाया है। कोई इज्जत नहीं रही, राइटर, बैल, बारात की।
मैं वक्त से टिक-टिक करता हूँ। और वक्त मुझसे।। मैं वक्त से टिक-टिक करता हूँ। और वक्त मुझसे।।
मंदिर में बजती घंटी की ध्वनि, टिक-टिक करती घड़ी की सुइयां, मंदिर में बजती घंटी की ध्वनि, टिक-टिक करती घड़ी की सुइयां,
पर हमारे हौसले के सामने नतमस्तक होकर खड़ा है। पर हमारे हौसले के सामने नतमस्तक होकर खड़ा है।
जहां व्यवहार भी एक दूसरे से तोल तोल के किया जाए, वहां प्यार क्या टिक पाएगा? जहां व्यवहार भी एक दूसरे से तोल तोल के किया जाए, वहां प्यार क्या टिक पाएगा?
उसकी तारीफ की चाहत में, राज़ अब कितने लिख डाले उसकी तारीफ की चाहत में, राज़ अब कितने लिख डाले